उत्तर प्रदेश के लखनऊ नगर निगम के जोन न० 6 में दो सफाईकर्मी की सीवर में उतरने से मौत हो गई. मृतक के नाम पूरन व करन बताए जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार दोनों सफाई कर्मियों को ठेकेदार ने उनके मना करने के बाद भी बिना सुरक्षा उपकरणों के जबरदस्ती कर सीवर मे उतारा जिसके चलते सीवर मे उनकी मौत हो गई।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने सीवर और सेप्टिक टैकों की सफाई के दौरान 2010 से मार्च 2020 के बीच हुई मौतों के संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी में आंकड़ों के अनुसार 631 लोगों की मौत हुई। इनमें से सबसे ज्यादा 115 लोगों की मौत 2019 में हुई। सबसे ज्यादा 122 लोगों की मौत तमिलनाडु में हुईं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 85, दिल्ली और कर्नाटक में 63-63 तथा गुजरात में 61 लोगों की मौत हुई। हरियाणा में 50 लोगों की मौत हुई।
क्या कहती है सीएसआर जनरल की रिपोर्ट
सफाई कर्मचारियों से जुड़े कुछ और तथ्य
आज भी 17 करोड़ दलित समाज के लोग मुख्यधारा से कटे हुए हैं
13 लाख कर्मचारी मल-मूत्र साफ करने वाले हैं
देश भर में 27 लाख सफाई कर्मचारी हैं
770000 सरकारी सफाई कर्मचारी हैं
20 लाख सफाई कर्मचारी ठेके पर काम करते हैं
औसतन सफाईकर्मी की कमाई 3 से 5 हजार रुपये होती है
हर महीने करीब 200 सफाईकर्मियों की काम करते वक्त मौत हो जाती है
90 फीसदी गटर-सीवर साफ करने वालों की मौत 60 बरस से पहले ही हो जाती है
हेल्थ और इंश्योरेंस की कोई सुविधा नहीं दी जाती
आज भी 20 लाख लोग सीवर और गटर साफ करने में लगे हैं
क्या है कानून और दिशा- निर्देश
मैनुअल स्केवेंजिग को खत्म करने और इसे प्रतिबंधित करने वाला पहला कानून 1993 में बना जबकि उसके बाद दूसरा कानून 2013 में बना था, मैनुअल स्कैवेंजिंग कानून 2013 के तहत किसी भी व्यक्ति को सीवर में भेजना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके अलावा दिशा-निर्देश कहते हैं कि सफाईकर्मी की सुरक्षा के लिए ऑक्सीजन मास्क, रबड़ के जूते, सेफ्टी बेल्ट, रबड़ के दस्ताने, टॉर्च आदि होने चाहिए।